कबीरा मनवा तो पंछी भया | Manva to Panchi bhaya

मन की समस्या दर्शाता कबीर दास जी का दोहा: मनवा तो पंछी हुआ

मनुवा तो पंछी भया, उड़ि के चला अकास।

ऊपर ही ते गिरि पड़ा, मन माया के पास।।


समाधान बताता कबीर दास का दोहा: कबीरा मन पंछी भया

कबीरा मन पंछी भया, भावे तहाँ आ जाए।

जो जैसी संगत करे, सो तैसा फल पाए॥


आचार्य विनम्र सागर जी महाराज कहते हैं: 

व्यक्ति के जीवन में उसकी स्थिति व परस्थिति ६०% उसकी संगति से निर्धारित होती है‌।

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी कहते हैं जैसी होगी संगति वैसी होगी मति और जैसी होगी मति उसी हिसाब से होगी उस व्यक्ति की सुगति या दुर्गति। 

फिर आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज कहते हैं ६०% तो हुआ आपकी संगति का फल २० से २५ प्रतिशत हुआ आपका पुरुषार्थ, और १० से १५% हुआ आपके पुराने कर्मों का फल, जिससे आपकी स्थिति का निर्धारण होता है। 

इसलिए हमें सत्संगति ही करनी चाहिए जैसा कि कबीर दास जी के दूसरे दोहे में बताया गया है जो जैसी संगति करे सो तैसा फल पाए। और फिर जैसी आपकी संगति होगी वैसे ही आपका मन होगा वैसे ही आपके भाव होंगे और एक प्रकार से भाव मन की खुराक है। फिर वैसा ही आपके लिए फल होगा।

Nabh me bhare udan, Man moh Maya ke paas, Satsangati kare-man bhavon k pass, Manva to Panchi bhaya in english


गिर पड़ा मन माया के पास का क्या मतलब है?

मन माया के पास ही गिरता है इसका मतलब यह है कि मन हमेशा शरीर के लाभ की चीज देखता है। जहां उसको पैसे, खाना इत्यादि चीज दिखती हैं वहीं पर मन गिर जाता है। 

जैसे एक कौवा का मन जहां विष्ठा देखा है वहां पर गिर जाता है ठीक उसी प्रकार व्यक्ति का मन जहां पर धन माया रुपी विष्ठा देखता है वहीं पर गिर पड़ता है।

कबीर मन पंछी भया इस दोहे के लिखने का हमारा उद्देश्य यह था कि व्यक्ति दूसरे के बारे में कितना बुरा या अच्छा विकल्प करता है। बुरा  ज्यादा, अच्छा कम। बहुत से विकल्प तो अप्रासंगिक, बेतुके एवं निरर्थक होते हैं। इसी वजह से कहने में आता है कि भैया हमारा मन तो पंछी की तरह हो गया जो कहीं पर भी कुछ भी सोचने लगता है।

परंतु आगे का दोहा कबीर दास जी ने अपनी भाषा में लिखा है जिसमें उन्होंने बताया है कि मन माया के पास जाकर गिरता है, और उसको बचाने के लिए आपको गुरुओं की सत्संगति करनी चाहिए।

मानव तो पंछी भया in English 

Kabir says that our mind is like a bird, how it wanders around in the sky. Once it detects money or fame it falls there.

जो जैसी संगति करे वह वैसा फल पाए in English

Nabh me bhare udan, Man moh Maya ke paas, Satsangati kare-man bhavon k pass, Manva to Panchi bhaya in english


Our mind is like a bird who follows thoughts. And, one's present state is determined by his surroundings.

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