Pahela sukh nirogi kaya | पहला सुख निरोगी काया

पहला सुख निरोगी काया ।

पहला सुख निरोगी काया।

दूसरा सुख घर में माया। 

तीसरा सुख मृदुभाषिणी नारी।  

चौथा सुख सुत आज्ञाकारी। 

Duja sukh Ghar mein ho Maya, तीजा सुख मृदु भाषी नारी, चौथा सुख सुत

 

पाँचवा सुख सदन हो घर का। 

छट्ठा सुख न कर्जा हो पर का। 

सातवाँ सुख चले व्यापार। 

आठवाँ सुख सबको प्यार। 

नौवाँ सुख निराकुलता हो मन में।

दसवाँ सुख न बैर विरोध स्वजन में। 

ग्यारहवाँ सुख मन लागे धरम में। 

बारहवाँ सुख न फंसे कुकर्म में। 

तेरहवाँ सुख हो साधु समागम। 

चौदहवाँ सुख यज्ञ जिनागम। 

पन्द्रहवाँ सुख जैन शीलवृत धारी। 

सोलहवाँ सुख अरिहंत के पुजारी।

यह छंद एक बड़े व्यापारी ने संकलित किया है। मुझे लगता है कि नौवां सुख निराकुलता हो मन में इसमें बदलाव हो सकता 

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