निर्गुण गलियां सांकरी मरहेली चलो गुरा जी का देश | Chalo hamara des Nirgun Kabir Lyrics

निर्गुण का अर्थ: गुणों से रिहित, आकार या माप से रहित, आत्मा || attribute less i.e soul

नुगुरा का अर्थ: जिसका कोई गुरु नहीं है। 




साहिब तेरी साहिबी हर घट रही समाए

जैसे मेहंदी के पात में लाली लखी ना जाए

लाली मेरे लाल की, मैं जब देखूं तब लाल

लाली देखन मैं गयी, तो मैं हो गयी लालम लाल

काठ के बीच में अग्नि जैसे, ऐसे तिल में तेल निवास है

दूध के बीच में घी जैसे, ऐसे फूलन के बीच में बास है

निर्गुण गलियां सांकरी म्हारी हेली

वहाँ चढ़यो नहीं जाए

वहाँ चढ़े तो पिया मिले म्हारी हेली

(थारो) आवा गमन मिट जाए

(यो तो पाछो जनम नहीं आये)

म्हारी हेली वो चालो गुराजी रा (हमारा) देस

म्हारे लाग्या भजन (शबद) वाला बाण म्हारी हेली

चालो हमारा देस

कहाँ उगे कहाँ आसते, म्हारी हेली

कहाँ उजाला होय?

यहीं उगे यहीं आसते, म्हारी हेली

यहीं उजाला होय

म्हारी हेली वो चालो हमारा देस…

कहाँ को गरजे कहाँ बारसे, म्हारी हेली

कहाँ सूखा का हरिया होय?

यहीं को गरजे यहीं बारसे, म्हारी हेली

यहीं सूखा का हरिया होय

म्हारी हेली वो चालो हमारा देस…

निर्गुण के बाज़ार में म्हारी हेली

हीरों को होवे व्यापार

सुगुरा मानव तो सौदो करे म्हारी हेली

ई तो नुगुरा मूल गंवाए

म्हारी हेली वो चालो हमारा देस…

अनहद का मैदान में म्हारी हेली

म्हारा साहिब जी की सेज

कहे कबीर धर्मदास से म्हारी हेली

न तो मरे न बूढ़ा होय

म्हारी हेली वो चालो हमारा देस

-कवि धरमदास



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