जिस घड़ी हम हंस सकते हो उस घड़ी हम रोए क्यों? Jin ghadiya hum Hans sakte hain

कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन भी खोए क्यों? 

जिन घड़ियों में हंस सकते हैं, उन घड़ियों में रोए क्यों? 

मुनि निर्वेग सागर

जिन घड़ियां हम हंस सकते हों उन घड़ियां हम रोए क्यों? इस पल को हम खोए क्यों। यह वक्त मिला है मुश्किल से वक्त को यूंही खोए क्यों






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