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मूक माटी pdf | 30 phd on Mook Maati by Acharya VidyaSagar
- मूकमाटी का लेखन शुरू हुआ पिसनहारी की मड़िया में 25 अप्रैल 1984 को एवं सिद्धक्षेत्र नैनागिरजी में 11 फरवरी 1987 को पूर्ण हुआ
- पद दलित चेतना, आतंकवाद, शोषण, वर्ग भेद, समाजवाद, आर्थिक विषमता, भौतिकता, भ्रष्टाचार, आदि अनेक राष्ट्रीय एवं सामाजिक समस्याओं एवं विद्रूपताओं के प्रति आचार्य श्री ने विगुल बजाया है
- मूकमाटी के खंड 01-संकर नहीं, वर्णलाभ; 02-शब्द सो बोध नहीं, बोध सो शोध नहीं; 03-पुण्य का पालन, पाप का प्रक्षालन; 04-अग्नि की परीक्षा, चाँदी सी राख़
- देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से अभी तक 4 डी-लिट्, 30 पी-एचडी, 8 एम.फिल, 2 एम.एड. तथा 6 एमए के शोध प्रबंध लिखे जा चुके हैं
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