आछे दिन पाछे गए | jab chidiya chug gai khet

आछे दिन पाछे गये, हरि से किया ना हेत।

अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत।।

 

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत कबीर दास


आछे दिन पाछे गए अर्थ | jab chidiya chug gai khet meaning 

कबीरदास जी कहते हैं कि व्यक्ति के अच्छे दिन अब पीछे गुजर चुके हैं। जब वह हंसता खेलता था। मस्ती से रहता था। उसने अब सारे अपने सुंदर दिन खत्म कर दिए हैं। और उन सुंदर दोनों में उस व्यक्ति ने हरि से हेत नहीं किया। 

इसका मतलब भगवान से अपना हित नहीं साधा। इन दिनों वह भगवान से कुछ सीख सकता था पर उसने नहीं सीखा। शांति, दया यह गुण और ऐसे अनंत गुण भगवान में निहित रहते हैं। 

पर अब पछताने से क्या होगा? अब तो वह कुछ सीख नहीं पाया। और समय अपनी गति से निकलता गया और उस व्यक्ति को निगलता गया। जिस प्रकार चिड़िया खेत को चुगती गई वैसे समय उस आदमी को चुगता गया। और उस व्यक्ति को खलास कर दिया। संत कबीर का यह दोहा बड़ा ही मार्मिक है।

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