ब्रह्मचारी भजन: मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन | Man ki Tarang maar Lo bus Ho Gaya bhajan
मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन
आये हो तुम कहाँ से और जाओगे कहाँ
इतना ही दिल विचार लो बस हो गया भजन
कोई तुम्हे कहे बुरा तू कर उसे क्षमा
निज दोष को निहार लो बस हो गया भजन
नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करों
मत सर बदी का हर लो बस हो गया भजन
नजरो में तेरी दोष है, दुनिया निहारती
समता का अंजन ढाल लो, बस हो गया भजन
मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन
एक ब्रह्मचारी के लिए यह एक अद्भुत भजन है। भजन का अर्थ सहज है। कवि कहता है की मन में जो संकल्प विकल्प आते रहते हैं उनको रोक लो तो भजन हो गया। अपनी बुरी आदतों को सुधार लो तो भजन हो गया।
मनुष्य को बड़ा अनमोल यह मनुष्य भव मिला है। कहां से भटकता भटकता आकर तू मनुष्य बना है। अब तेरा लक्ष्य क्या है? बस इतना ही जान लो तो भजन हो गया है।
कोई यदि तुमसे बुरा कहता है तो तुम उसको क्षमा कर दो। कभी अपनी गलतियां देखने में आ जाए तो मान लो कि हो गया भजन।
कवि कहता है कि यदि आपसे नेकी बने तो खूब करो। और दुश्मन का क्रोध पी जाओ बस हो गया भजन।
तेरी नजरों में दोष है जो कि यह दुनिया को देखती है। और दुनियावी बातों में लगी रहती है। अपने ऊपर समता का रंग डाल लो तो हो गया भजन। समता का अर्थ है: अच्छा वातावरण है तो ठीक बुरा वातावरण है तो ठीक।
यह भजन एक ब्रह्मचारी के व्रत पालने के लिए बहुत अच्छा भजन है।
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