ऐसी वाणी बोलिए | Aisi Vani Boliye
ऐसी वाणी बोलिए
मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे,
आपहुं शीतल होए।।
ऐसी वाणी बोलिए अर्थ:
काव्य के जादूगर कबीर दास जी का कहना है कि आपको दूसरों से बोलने के लिए ऐसी वाणी का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे सामने वाला मंत्रमुग्ध हो जाए। ऐसी वाणी सामने वाले को तो शीतलता प्रदान करती है, साथ में स्वयं को भी शीतलता प्रदान करती है।
हम अक्सर बोलने में बड़ी भूल कर दिया करते हैं। कुछ ऐसे बोल होते हैं जो सामने वाले को अपने वश में कर लेते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी बोल होते हैं जो सामने वाले को जला देते हैं।
तभी कबीर दास जी का संदेश वाणी के प्रति बहुत सुगम है। यदि आप दूसरों से अच्छा बोलोगे तो दूसरे भी आपसे अच्छे से बोलेंगे। यदि आप दूसरों को गाली देकर या गुस्से में बात करके कहोगे तो दूसरा भी आपसे उसी ढंग से बात करने के लिए मुक्त है।
इसलिए वाणी के प्रति हमे हमेशा सतर्क रहना चाहिए। मुझे एक ब्रह्मचारी भैया ने बताया कि व्यक्ति को हित, मित एवं प्रिय बोलना चाहिए।
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