दान या संग्रह? Saving vs donating money which is better

खजुराहो में ३०-११-२०२१ के साध्वी जी के प्रवचन में से: 

आप कितना धन कमा रहे हो यह महत्वपूर्ण नहीं है, कमाए हुए धन का आप कहां उपयोग कर रहे हो यह महत्वपूर्ण है। 

किसी युवक ने २५ वर्ष की उम्र में ५००००० रुपए लगाकर के व्यवसाय शुरू किया। जीवन के अंत तक उसने ५०००००० या 1 कोटी या उससे भी ज्यादा धन इकट्ठा कर लिया, इसमें क्या बड़ी बात है? इस धन को पर भव में ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। 

दान की महिमा | दानी राजा भोज की कहानी 

यह कहानी राजा भोज की है। राजा भोज बहुत दानवीर थे। जो धन आता था उसको दान में दे देते थे। राज खजाने में ना के बराबर धन एकत्रित था। यह बात राजा भोज के मंत्री को नहीं सुहाई। जिस आंगन में जाकर राजा भोज दान दिया करता था उसके रास्ते में मंत्री ने यह नीति वाक्य लिखवा दिया: 

व्यक्ति को कुछ धन संचित करके रखना चाहिए। बुरे वक्त में वही काम में आता है। 

अगले दिन राजा भोज ने जब यह पंक्ति पढ़ी तो अपने विवेक से इस पंक्ति को दूसरी नीति वाक्य से पूर्ण कर दिया। 

भले व्यक्तियों के लिए बुरा वक्त क्या कभी आता है? 

इस वाक्य को मंत्री ने पढ़ा फिर कुछ सोच कर इसमें पुनः जोड़ा:

पाप वश या पूर्व के बुरे कर्मों वश कभी बुरा वक्त आया तो? 

अगले दिन फिर राजा भोज दान करने के लिए निकले। इस वाक्य को पढ़कर उन्होंने नहले पर दहला दे दिया। 

पाप या पूर्व कर्मों वश बुरा वक्त आने पर संचित धन भी नष्ट हो जाता है, अथवा किसी काम में नहीं आता। 

तो दोस्तों, धन को जोड़ने से क्या फायदा? अर्थात, सिद्ध हुआ कि दान में ही सुख है। 

दान के कितने प्रकार होते हैं? 

दान चार प्रकार का होता है: 

  1. अभय: किसी के लिए भय को दूर कर देना। यह दान वचनों के द्वारा भी दिया जा सकता है 
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  2. औषधि: किसी को चिकित्सा या दवाई करा देना 
  3. आहार: साधु संत को भोजन करा देना 
  4. उपकरण: शास्त्र आदि भेंट करना।

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