मैं भारत बोल रहा हूं | main Bharat bol raha hoon lyrics

दिल की परतें खोल रहा हूं
भारतवासियों मैं भारत बोल रहा हूं

यह मेरे मन की व्यथा है इसे कथा समझ न लेना
तुम अपनी आधुनिकता को सभ्यता समझ न लेना

तुम जब महसूस करोगे कि मेरी आंखें नम हैं
संवेदनहीन हुए तुम इस बात का मुझको गम है
सच है पुरखों ने तुम्हारे आजादी मुझे दिलाई
उनके बलिदान की कीमत क्यों समझ तुम्हें न आयी
जो सुख-दुख उन्होंने देखें तुम उनको भूल रहे हो
निज निहित स्वार्थ में पड़कर यूं मद में भूल गए हो

सीमित हैं मेरे संसाधन मैं कैसे तुम्हें समझाऊं
इस बढ़ती आबादी का मैं कैसे बोझ उठाऊं
हर कदम पर तुमने केवल दोहन ही मेरा किया है
वन खनिज संपदा नदिया मेरा सर्वस्व लिया है

बदले में मुझे दिया क्या यह तंगी और बदहाली
जहरीली हवा प्रदूषण और धुएं की चादर काली
मैं युगों युगों से सबकी पलकों पर रहा करता था
सोने की चिड़िया मुझको संसार कहा करता था

Mai bharat bol raha hun lyrics, सोने की चिड़िया पर कविता, दिल की परतें खोल रहा हूं, तुम अपनी आधुनिकता को सभ्यता समझ न लेना, desh bhakti kavita

लिरिक्स: शेखर अशवित्व
Taxpayer association of Bharat initiative

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