इकोनॉमिक्स ऑफ खादी महात्मा गांधी द्वारा रचित। पृष्ठभूमि श्री राजेंद्र प्रसाद।
क्या है खादी की जरूरत? क्यों खादी के बिना भारत के 'अच्छे दिन' नहीं आ
सकते हैं? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में दिए गए हैं। यह पुस्तक
गांधीजी के खादी के विषय में लेखों का संकलन है। इसमें ज्यादातर पत्र यंग
इंडिया और हरिजन मैगजीन से लिए गए हैं। आप इसे सन् १९१९ से १९४१ तक के
लेखों का संकलन समझ सकते हैं।
इस पुस्तक में आपको यह तो नहीं मिलेगा कि खादी बनती कैसे है। खादी बनती कैसे है उसके लिए नीचे लिखे लेख को पढ़ सकते हैं।
यह
पुस्तक आपको खादी के लिए आस्था जगाएगी। और खादी को ऊपर उठाने के लिए
महात्मा जी के प्रयास बताएगी। इस पुस्तक के शुरुआत में डॉक्टर राजेंद्र
प्रसाद, जो हमारे प्रथम राष्ट्रपति रहे हैं, ने अपना योगदान इसकी पृष्ठभूमि
तैयार करने में दिया है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि डॉक्टर राजेंद्र
प्रसाद के अलावा जमनालाल बजाज और प्रफुल्ल चंद्र राय जैसे नामी व्यक्तियों
ने भी खादी के उत्थान के लिए अहम भूमिका निभाई थी।
जिनको गांधी जी पर आस्था है, उनको यह जानना चाहिए कि खादी के बिना गांधी, शरीर के बिना आत्मा समान है।
आप
पूछेंगे कि जब खादी के बिना देश का उद्धार नहीं हो सकता है तो फिर अभी तक
देश कैसे चल रहा है? यह तो हम सभी भारतवासी जानते हैं कि आज भारत देश की
हालत क्या है। इसे बताने की जरूरत नहीं है। सब कुछ दिख रहा है। समय-समय पर
आचार्य श्री, राजीव दीक्षित, बेले मोनप्पा हेगड़े जैसे लोग ही भारत की शान
को बनाए रखते हैं। नहीं तो बाकी सब हमारे हाथ से निकलता जा रहा है। खैर
छोड़िए सब बातों को। आपके लिए साक्षात खादी का साहित्य हम लेकर आए हैं जो
आपको उस समय के छिपे हुए कई पहलू सामने लाएगा। जैसे दोस्त से दिखने वाले
रविंद्र नाथ टैगोर और जवाहरलाल नेहरू का सत्य, इत्यादि।
और यह
साहित्य आपको गांधीजी के महात्म्य के बारे में भी बताएगा। यह पुस्तक
अंग्रेजी भाषा में है। प्रस्तुत है गांधीजी का खादी के विषय में एक विशाल
साहित्य। आप इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं।
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